भवन के संबंध में अक्‍सर: पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न: दि.वि.प्रा. के अधीन आने वाले क्षेत्रों के भवन नक्‍शा परमिट के लिए कहां आवेदन करें ?

उत्‍तर: भवन नक्‍शे के आवेदनों को बिल्डिंग में स्थित भवन अनुभाग काउंटर, डी-ब्‍लॉक, भूतल, विकास सदन, नई दिल्‍ली-110023 को प्रस्‍तुत किया जाएगा, जो आई. एन. ए. बाजार के समीप अवस्थित है। ऐसे आवेदनों को इस काउंटर पर सभी कार्य दिवसों में प्रात: 10.30 से 1.00 अपराह्न, अपराह्न 2.30 से अपराह्न 4.30 तक प्राप्‍त किया जाता है।

प्रश्‍न: दि.वि.प्रा. के अधीन आने वाले क्षेत्रों के भवन नक्‍शा परमिट के लिए कहां आवेदन करें ?

(A) आवासीय प्‍लॉट/अन्‍य भवनों की संस्‍वीकृति/निर्माण बढ़ाने/परिवर्तन/संशोधित प्‍लॉन के लिए :
(B) बी-1 परमिट: प्लिंथ लेवल
(C) समापन एवं अधिभोग प्रामाण-पत्र (परिशिष्‍ट ‘बी-3’ : उप-नियम संख्‍या 7.5.2)

उत्‍तर (क) बिल्डिंग परमिट शुल्‍क:

कोई भी भवन आवेदन तब तक वैध नहीं माना जाएगा जब तक कि मालिक ने नीचे दी गई अनुसूची के अनुसार भवन आवेदनों के लिए अपेक्षित शुल्‍क का भुगतान न कर दिया हो:

नोट: किसी भी मामले में बिल्डिंग परमिट शुल्‍क जैसा कि उपरोक्‍त पैरा 3 (क) i, ii, एवं iv में दिया गया है, 25 रुपये से कम नहीं होगा।

(ख) स्‍टे‍किंग प्रभार

  • सभी भवनों के लिए भवन परमिट शुल्‍क का आकलन आच्‍छादित क्षेत्र (कवर्ड एरिया) (जिसमें तहखाने का फर्श, मेजानिन फर्श एवं मचान इत्‍यादि शामिल है) के 1 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से किया जाएगा।
  • परिवर्धन/परिवर्तन/संशोधित प्‍लान के लिए शुल्‍क संबंधित योजना के लिए जमा किए मूल भवन परमिट शुल्‍क का 50% होगा।
  • भूमि के पुनर्विकास/उप-विभाजन के ले आउट प्‍लान के लिए अनुमो‍दन/संशोधित अनुमोदन/परिवर्तन/परिवर्धन के लिए प्‍लान प्रस्‍तुत करने के शुल्‍क का आकलन 10000/- रुपये प्रति एकड़ की दर से किया जाएगा।
  • नक्‍शों का पुन: वैधीकरण: शुल्‍क प्रतिवर्ष मूल परमिट शुल्‍क के 25% की दर से होगा।
  • समूह आवास सोसाइटियों के अलावा भवनों के मामलों में प्लिंथ लेवल के लिए शुल्‍क परिशिष्‍ट बी-1 के अनुसार 15 रुपये है और समूह आवासीय सोसाइटी के मामले में 200/- रुपये प्रति ब्‍लॉक है।
  • सभी प्रकार के भवनों में ‘एनओसी’ प्रस्‍तुत (कवर्ड एरिया)(जिसमें बेसमेंट तल, मेजेनाइन फ्लोर, लॉफ्ट इत्‍यादि शामिल हैं) के 1 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से होगा ।
  • सरकारी विभागों, सरकारी सहायता प्राप्त संस्‍थानों एवं धर्मार्थ संस्‍थाओं/वक्‍फ बोर्ड की सहकारी समूह आवास समितियों/अन्‍य समूह आवासों के मामले में अनंतिम अधिभोग प्रभारों के लिए आवेदन शुल्‍क 100/- रुपये होगा।
  • (I)उन क्षेत्रों में आने वाले भूखंडों के लिए जहां सेवाओं का रखरखाव किसी भी सरकारी एजेंसी द्वारा किया जा रहा है: स्‍टेकिंग शुल्‍क नीचे दिए गए के अनुसार लिया जाएगा। :-
    • (i)क्षेत्रफल में 42 वर्गमीटर तक के प्‍लॉट के लिए कवर्ड एरिया के 1 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से।
    • (ii) क्षेत्रफल में 84 वर्ग मीटर तक प्‍लॉट के लिए कवर्ड एरिया के 1.5 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से।
    • (iii) क्षेत्रफल में 418 वर्गमीटर तक के और 84 वर्गमीटर से अधिक के प्‍लॉटों के 2 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से ।
  • (II) क्षेत्रफल में 418 वर्ग मीटर से अधिक के प्‍लॉटों के मामले में, भवन सामग्री का ढेर प्‍लॉट के क्षेत्र में ही लगाया जाएगा। भवन नक्‍शों की स्‍वीकृति के लिए आवेदन प्रस्‍तुत करते समय परिशिष्‍ट एम (देखे पृष्‍ठ-22) में दिए गए प्रोफार्मा में सरकारी भूमि पर सामग्री का ढ़ेर नहीं लगाने का वचन पत्र प्रस्‍तुत किया जाएगा।
  • (III) उन भूखंडों के मामले में जहां संबंधित सहकारी समितियों द्वारा सेवाएं प्रदान की जा रही हैं और अभी तक किसी भी सरकारी संस्‍था को सौंपा नहीं गया है, वहां कोई भी स्‍टेकिंग प्रभार नहीं लगाया जाता है और सरकारी संस्‍था को सेवाएं सौंपने से पहले सोसाइटी के सचिव द्वारा ऐसा प्रमाण-पत्र प्रस्‍तुत किया जाएगा कि सुविधाओं में किसी प्रकार की खराबी इत्‍यादि को सोसायटी द्वारा दुरुस्‍त किया जाएगा।
  • (i)निर्माण के दौरान जमा हुए मलबे को साप्‍ताहिक आधार पर हटाया जाएगा। यदि ऐसा नहीं किया जाता, तब इस स्थिति में स्‍थानीय निकायों द्वारा मलबे को हटाया जाएगा और प्‍लॉट के स्‍वामी द्वारा लागत का वहन किया जाएगा।
  • (ii) निर्माण के दौरान, स्‍वामी की ओर से अनिवार्य है कि मुख्‍य सड़क से निर्माण स्‍थल को अच्‍छी तरह से कवर करें, जो कि भूस्‍तर से 8 फीट की ऊंचाई तक कम न हो। जिसे सड़क की ओर से भद्दा दिखने से बचाने के लिए रंग दिया जाए। इसके अतिरिक्‍त भवन के अग्रभाग पर एक जाल अथवा कोई सुरक्षात्‍मक सामग्री टांगी जाएगी जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कोई भी गिरने वाली सामग्री सुरक्षित क्षेत्र के भीतर ही रहे।
  • (iii) रात में 10 बजे के बाद निर्माण संबंधी गति‍विधियां नहीं की जाएंगी। इसके अलावा यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि निर्माण/तोड़-फोड़ का कार्य इस प्रकार किया जाए कि पड़ोसियों को किसी प्रकार की परेशानी/बाधा न हो/(देखें जी ओ ई की दिनांक 22.01.2002 की अधिसूचना)

उत्‍तर: इन प्रभारों का भुगतान सहकारी आवास भवन सोसायटी समूह-IV द्वारा दि.वि.प्रा. के द्वारा परीधीय सेवाओं की व्‍यवस्‍था बनाने के लिए 70/-रुपये की दर से अपेक्षित है। (माननीय कोर्ट के आदेश एवं अनुवर्ती कार्यालय आदेश संख्‍या 80 दिनांक 12.06.2003 के आलोक में) प्‍लान की संस्‍वीकृति के समय निवल प्‍लॉट एरिया का प्रति वर्ग मीटर/उपरोक्‍त के अतिरिक्‍त, ‘व्‍यक्तिगत प्‍लॉट के स्‍वामी’ भी परीधीय प्रभारों को जमा करने के लिए निर्धारित प्रारूप में आवश्‍यक वचनबंध प्रस्‍तुत करेंगें। व्‍यक्तिगत प्‍लॉट के स्‍वामी द्वारा भवन प्‍लान के संस्‍वीकृति के समय वचनबंध प्रस्‍तुत किया जाएगा।

उत्‍तर: निर्माण कार्य एवं आवास मंत्रालय, भारत सरकार की अधिसूचना संख्‍या के-12016/10/82-डीडी II ए दिनांक 10.08.83 के अनुसार एक रिहाइसी ईकाई के रूप में बरसाती फ्लोर का अनुमोदन दिया गया था। लाभ उपलब्‍ध होगा बशर्तें इच्‍छुक भवन निर्माता द्वारा भवन के प्‍लान की संस्‍वीकृति के समय अथवा अधिभोग प्रमाण-पत्र के जारी होने के समय निर्माण के नियमितीकरण के दौरान निर्मित क्षेत्र का 150/- रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से सुधार प्रभार जमा करें। 25%से अलग कवरेज और यहां तक कि 25% कवरेज के साथ प्रस्‍तावित नियमित आवासीय ईकाई के प्रावधान के मामले में, पूर्ण सुधार शुल्‍क लगाया जाता है।

उत्‍तर: सभी प्रकार के विकास के लिए बिल्डिंग परमिट सरकारी अधिसूचना के अनुसार जैसा कि नीचे वर्णित है, संस्‍वीकृति की तिथि से वैध रहेगा।

  • आवासीय संस्‍थागत, औद्योगिक एवं व्‍यावसायिक (4 मंजिला ईमारतों तक) के लिए 5 वर्ष।
  • वृहत परिसरों एवं बहु मंजिला ईमारतों एवं सांस्‍थानिक भवनों के लिए 5 वर्ष।

नोट:

  • ऐसे बिल्डिंग परमिट की वैधता समाप्‍त होने के पश्‍चात् कोई बिल्डिंग परमिट नहीं लिया जा सकता है।
  • बिल्डिंग के परमिट को मूल परमिट की वैधता की समाप्ति की तिथि से एक बार एक वर्ष की अवधि के लिए पुन: वैधीकरण किया जा सकता है।

उत्‍तर: स्‍वामी/आवेदनकर्ता, जिन्‍हें ऐसे बिल्‍डिंग परमिट की अनुमति प्राप्‍त हुई है, उसे साइट पर निर्माण कार्य आरंभ होने के 7 दिनों के भीतर लिखित में प्राधिकरण को सूचित करना होगा। वह प्राधिकरण से इस सूचना पर एक पावती प्राप्‍त करेगा।

उत्‍तर: स्‍वामी/आवेदक जिसे ऐसा बिल्डिंग परमिट प्रदान किया गया है, वह अपने द्वारा नियुक्‍त लाइसेंसधारी वास्‍तुविद्/अभियंता/पर्यवेक्षक के माध्‍यम से प्रपत्र बी-1 में कार्य के 'प्लिंथ लेवल' तक समापन के बारे में सूचना देगा।

इस परमिट के लिए अपेक्षित प्रपत्र निम्‍नानुसार हैं: -

  • जैसा कि खंड 3(क) V में प्रक्रिया शुल्‍क दिया गया है।
  • अधिसूचना के अनुसार परिशिष्‍ट बी-1 (भवन उप विधि 7.2.2)
  • लाइसेंसधरी वास्‍तुविद्/अभियंता/पर्यवेक्षक के वैध प्रमाणपत्र की प्रति।
  • प्‍लान, प्‍लॉट डाइमेंशन, क्षेत्र एवं सेट बैक के संबंध में साइट पर प्लिंथ लेवल संकेतक निर्माण, जो कि स्‍वामी एवं लाइसेंसधारी वास्‍तुविद्/अभियंता/पर्यवेक्षक द्वारा विधिवत हस्‍ताक्षरित हो।
  • निर्माण के लिए समय में विस्‍तार, तिथि तक वैध, यदि आवश्‍यक हो।
  • वास्‍तुविद्/अभियंता के परिवर्तन के मामले में, पर्यवेक्षण-1, वास्‍तुविद का नियुक्ति पत्र, वास्‍तुविद् की नियुक्ति के लिए सामान्‍य निकाय संकल्‍प की सत्‍यापित प्रति इत्‍यादि जैसे प्रपत्र आवश्‍यक हैं।

दि.वि.प्रा. साइट का निरीक्षण करेगा और यदि आपत्ति हो तो स्‍वामी/वास्‍तुविद्/अभियंता/पर्यवेक्षक को प्रपत्र बी-2 में 30 दिनों के भीतर सूचित करेगा। (गैर-समाधेय प्रकृति के अंतर दिखाई देने के मामले में)

संस्‍वीकृत योजना/समायोजन योग्‍य सीमा के अनुसार प्लिंथ लेवल का निर्माण पाये जाने के मामले में, अधिसूचना के अनुसार सूचना देने की आवश्‍यकता नहीं है। यद्यपि, विवादों से दूर रहने के लिए, बी-1 के संबंध में आवेदक को सूचना भेजी जाएगी, कि यह संस्‍वीकृत/संशोधित संस्‍वीकृत प्‍लान के अनुसार हैं। इसके अतिरिक्‍त स्‍वामी और वास्‍तुविद्/अभियंता/पर्यवेक्षक की यह जिम्‍मेदारी होगी कि वे यह सुनिश्चित करें कि आगे भवन का निर्माण संस्‍वीकृत भवन नक्‍शे के अनुसार हो।

उत्‍तर: I.- किसी भी व्‍यक्ति को किसी भवन या भवन के किसी भाग को किसी उद्देश्‍य के लिए अधिभोग करने अथवा किसी अन्‍य व्‍यक्ति को अधिभोग करने की अनुमति प्रदान करने की अनुमति नहीं होगी जब तक कि ऐसे भवन अथवा भवन के किसी भाग को अधिभोग प्रमाण-पत्र प्रदान नहीं कर दिया जाता है। स्‍वामी अपेक्षित प्रपत्रों और नक्‍शे के साथ कार्य समापन की सूचना प्रस्‍तुत करेगा जैसा कि पृष्‍ठ-4 के पैरा 2(सी) में वर्णित है। प्राधिकरण कार्य समापन की सूचना प्राप्‍त करने पर कार्य का निरीक्षण करेगा और कार्य समापन की सूचना की प्राप्ति के 60 दिनों के अंदर संस्‍वीकृति/अस्‍वीकरण, अथवा आपत्ति की सूचना देगा। स्‍वामी/आवेदक/वास्‍तुविद् को निरीक्षण का समय बताया जाएगा। निर्मित भवन के निरीक्षण के पश्‍चात् आपत्तियों और समाधेय शुल्‍क यदि देय हो तो, की सूचना स्‍वामी/वास्‍तुविद् को भेजी जाएगी। इस पत्र के अनुपालन अथवा सभी औपचारिकताओं को पूरा करने पर, अधिभोग प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा।

II. अनंतिम अधिभोग प्रमाण-पत्र एवं कार्य समापन एवं अधिभोग प्रमाण-पत्र

परिपत्र दिनांक 12.04.2002 की निरंतरता में, ऐसा निर्णय लिया गया है कि प्राधिकरण के संकल्‍प संख्‍या 72 दिनांक 18.06.1991 के अनुसार अनंतिम अधिभोग प्रमाणपत्र (पीओसी)/कार्यसमापन एवं अधिभोग प्रमाणपत्र (सीसी) सहकारी समूह आवास सोसाइटी, सरकारी सहायता प्राप्‍त संस्‍थाओं एवं धर्मार्थ ट्रस्‍ट/वक्‍फ बोर्ड की आवास योजनाओं के लिए लागू/स्‍वीकृत/अनुमोदित होगा।

'पीओसी' और 'सीसी' दोनों के लिए आवेदन एक साथ जमा करना होगा। दोनों परमिटों के आवेदन के समय एक साथ जमा किए जाने वाले अपेक्षित दस्‍तावेजों की सूची पैरा 2 सी-iii एवं 2सी-iv में वर्णित है। दोनों परमिटों की प्राप्ति के तुरंत बाद निम्‍नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

(a) अनंतिम अधिभोग प्रमाण-पत्र (पीओसी)

एक बार विस्‍तृत साइट निरीक्षण किया जाएगा। इस स्‍तर पर अतिरिक्‍त एफएआर/समाधेय शुल्‍क/ईडब्‍ल्‍यूएस निधि इत्‍यादि वसूल किया जाएगा और सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन के पश्‍चात् और समापन योजना को डीयूएसी को प्रस्‍तुत/प्राप्ति रिपोर्ट प्रस्‍तुत करने के पश्‍चात् पीओसी जारी किया जाएगा।

(b) कार्य समापन एवं अधिभोग प्रमाण-पत्र (सी.सी.)

डीयूएसी से समापन प्‍लान की मंजूरी मिलने के पश्‍चात्, मामले को सक्षम प्राधिकारी के समक्ष समापन प्रमाण-पत्र के अनुमोदन के लिए रखा जाएगा तथापि, इस स्‍तर पर विकास नियंत्रण मानदंडों/बीबीएल के संबंध में किसी भी प्रकार के अनुवर्ती विचलन के लिए एक बार दोबारा साइट का निरीक्षण किया जाएगा।

उत्‍तर: कोई भी व्‍यक्ति संस्‍वीकृत/अनुमेय 'भूमि उपयोग' से अलग किसी भूमि अथवा भवन अथवा उसके किसी भाग में परिवर्तन नहीं कर सकता है और दुरुपयोग संबंधी अपराध दिल्‍ली विकास अधिनियम, 1957 की धारा 30 (i) और 31 (क) के अंतर्गत दंडनीय है।

  • पट्टे की शर्तों को पूरा करने के लिए आवासीय प्लॉटों पर निर्माण के लिए आवश्यक न्यूनतम निर्मित क्षेत्र, स्व-निहित आवासीय इकाई (डीयू) के रूप में भूतल पर अनुमेय कवरेज का 1/3 होगा।
  • प्राधिकरण संकल्प मद संख्या 54/2004: "प्रस्तावों का उद्देश्य केवल आंशिक निर्माण के लिए डी/फॉर्म/पूर्णता प्रमाण पत्र प्राप्त करने की तिथि तक संरचना शुल्क के भुगतान के लिए आबंटी की देयता को सीमित करना था, और यह प्रावधान केवल ऐसे मामलों पर लागू होगा जहां एफ.ए.आर का कम से कम 50% उपयोग किया जाता है और जो एक व्यवहार्य और कार्यात्मक भवन के उद्देश्य के अनुसार कार्य कर रहे हैं। यह स्पष्ट किया गया था कि यह प्रावधान केवल उन मामलों में आरंभ किया जा रहा था जहां भूमि आबंटन के समय न्यूनतम, निर्माण के लिए मानदंड स्पष्ट रूप से निर्धारित नहीं किए गए थे।
  • सरकारी विभागों और स्वायत्त निकायों को भी आबंटित संस्थागत प्लॉटों के संबंध में सरकारी निधि के साथ किये जाने वाले निर्माण की अवधि, संघटन शुल्क के बिना सात वर्ष होगी। यदि इस अवधि के दौरान 50% या अधिक एफ.ए.आर का निर्माण किया जाता है, तो निर्माण की विलम्बित अवधि के लिए आगे कोई संघटन शुल्क नहीं लिया जाएगा।  इसके अलावा, यदि संघटन शुल्क सात साल से अधिक देय है, तो पूरे निर्माण योग्य क्षेत्र पर एफ.ए.आर के 50% के निर्माण के पूरा होने की तारीख तक ही लगाया जाएगा।

उ. क निम्नलिखित मुद्दों के लिए मुख्य/क्षेत्रीय योजना विनियमों/उप विधियों के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है:

(क) गैर-समाधेय मदें:

निम्नलिखित के संबंध में अधिकतम/न्यूनतम निर्धारित सीमा से कोई विचलन :

  • कवरेज।
  • एफ.ए.आर
  • सेट बैक
  • खुले स्थान (ओपन स्‍पेस)
  • भवन की कुल ऊंचाई
  • मंजिलों की संख्या।
  • आवासीय इकाइयों की संख्या और सघनता ।
  • पार्किंग मानदंड।
  • प्रकाश और वेंटिलेशन प्रावधान
  • उपयोग
  • नीचे दिए गए पैरा 'ख' में दी गई मदों को छोड़कर इन उप-विधियों के अन्य सभी प्रावधान समाधेय/ नियमित नहीं होंगे और उन्हें स्वामी के जोखिम और लागत पर परिवर्तन/ तोड़फोड़ करके सुधारना होगा। इसको पूर्व पट्टे की शर्तों एवं दिल्ली विकास अधिनियम, 1957 के प्रावधानों के अनुसार कोई अन्य कार्रवाई आगे होगी।

(ख) समाधेय मदें:

  • कवर्ड क्षेत्र के संदर्भ में विचलन :- यदि किसी भवन या उसके भाग का निर्माण अनधिकृत रूप से अर्थात भवन उप-विधि के खंड 6.1 और 6.7.1 के अंतर्गत प्राधिकरण से यथा अपेक्षित भवन अनुमति प्राप्त किए बिना किया गया है, तो निम्नलिखित दरो पर उसे संघटित किया जाएगा, बशर्ते कि भवन या उसका कोई भाग इस प्रकार निर्मित किया गया हो अन्यथा भवन उप-विधियों और मुख्य/ ज़ोनल योजना विनियमों में निहित प्रावधानों की पुष्टि करता है। इसके लिए (पक्ष) को निर्धारित प्रक्रिया में बिल्डिंग अनुमति के लिए आवेदन जमा करना होगा।
  • (क) (गैर-समाधेय) में निर्दिष्ट के अलावा भवन उप-विधियों का विचलन।
  • अधिकतम तक विचलन, निर्धारित अधिकतम/न्यूनतम से 10% की सीमा को निम्नलिखित दर पर संयोजित किया जाएगा
  • भवनों के विभिन्न घटकों के क्षेत्रों के विचलन के मामले में जुर्माने (पैनल्‍टी) की दर अथवा 10/- रु प्रति 1% विचलन की दर से होगी।
  • ऊंचाई के मामले में विचलन के लिए पैनल्टी प्रत्येक 10 वर्गमीटर या उसके प्रभावित क्षेत्र के भाग के लिए 10/- रुपये प्रति 1% विचलन की दर से होगी । 
  • चौड़ाई लंबाई की निर्धारित सीमा से विचलन के लिए पैनल्टी प्रत्येक 10 वर्गमीटर या उसका प्रभावित क्षेत्र के भाग के लिए 10/- रुपये प्रति 1% विचलन की दर से होगी ।

उ. कृपया सूचित किया जाए कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली सरकार ने दिनांक 01.07.2010 से दिल्ली अग्निशमन सेवा अधिनियम, 2007 (2009 का दिल्ली अधिनियम 2) और दिल्ली अग्निशमन सेवा नियम 2010 बनाए हैं। उपर्युक्‍त अधिनियम और नियम के अनुपालन में नियम 27 के अंतर्गत परिभाषित श्रेणी के तहत आने वाले परिसर/भवन के प्रत्येक स्वामी/ अधिभोगी को नियम 33 के अंतर्गत यथानिर्धारित भारतीय राष्ट्रीय भवन संहिता 2005 (भाग IV) के अनुसार आग से बचाव और सुरक्षा उपाय प्रदान करने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त, वे नियम 35 में निहित प्रावधान के अनुसार "अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र" जारी करने के लिए निदेशक, अग्निशमन सेवा को आवेदन करेंगे। अधिनियम की धारा 25 की उप-धारा (1) के प्रयोजनों के लिए अधिभोगों की निम्नलिखित वर्गों को दिल्ली अग्निशमन सेवा से "अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र" प्राप्त करना आवश्यक है:

इसके अतिरिक्त, नियम 35 के अंतर्गत जारी "अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र", जब तक कि जल्द ही रद्द नहीं किया जाता है, जारी होने की तारीख से आवासीय भवन (होटल के अलावा) के लिए 5 साल और गैर-आवासीय भवन के लिए 3 साल की अवधि के लिए वैध होगा। इसके बाद, "अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र" के नवीनीकरण के लिए आवेदन "अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र" की समाप्ति से छह महीने पहले प्रपत्र 'I' में निदेशक को किया जाएगा।

  • आवासीय भवन (होटल और गेस्ट हाउस के अलावा) जिसकी ऊंचाई 15 मीटर से अधिक हो, जिसमें मेजेनाइन फ्लोर सहित ग्राउण्‍ड प्‍लस ऊपरी मंजिलें हों।
  • 12 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले होटल और गेस्ट हाउस में ग्राउंड प्लस मेजेनाइन फ्लोर सहित तीन ऊपरी मंजिलें हैं।
  • शैक्षिक भवन जिसकी ऊंचाई 9 मीटर से अधिक हो, जिसमें ग्राउण्‍ड प्‍लस मेजेनाइन फर्श सहित दो ऊपरी मंजिलें हों।
  • संस्थागत भवन जिसकी ऊंचाई 9 मीटर से अधिक हो, जिसमें ग्राउण्‍ड प्‍लस मेजेनाइन फर्श सहित दो ऊपरी मंजिलें हों।
  • सभी एसेंबली बिल्डिंग ।
  • 15 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली व्यावसायिक इमारत जिसमें ग्राउण्‍ड प्‍लस चार ऊपरी मंजिलें शामिल हैं, जिसमें मेजेनाइन फर्श भी शामिल है।
  • मर्केंटाइल बिल्डिंग जिसकी ऊंचाई 9 मीटर से अधिक है, ग्राउण्‍ड प्‍लस मेजेनाइन फर्श सहित दो ऊपरी मंजिलें हैं।
  • 250 वर्ग मीटर से अधिक सभी मंजिलों पर कवर्ड एरिया वाले औद्योगिक भवन।
  • 250 वर्ग मीटर से अधिक सभी मंजिलों पर कवर्ड एरिया वाला स्टोरेज बिल्डिंग।
  • 100 वर्ग मीटर से अधिक सभी मंजिलों पर कवर्ड एरिया वाले सभी जोखिमपूर्ण भवन।
  • भूमिगत संरचना।

उ. - क: उक्त आवेदन में निर्दिष्ट विकास को पूरा करने के लिए भवन का निर्माण करने/ पुन: निर्माण करने / जोड़ने/ बदलने की मंजूरी के लिए लगभग 24 बिंदु तैयार किए गए हैं जो हैं:

1. निर्माण संस्वीकृत योजना के अनुसार ही किया जाएगा और बिना पूर्व संस्वीकृति के उप-विधि से विचलन की अनुमति नहीं दी जाएगी। उप-विधियों के विरुद्ध किए गए किसी भी विचलन को गिराया जा सकता है और काम पर लगे पर्यवेक्षक वास्तुकार को अपना लाइसेंस रद्द करने का जोखिम होगा।

2. भवन उपविधियों का उल्लंघन को माफ़ नहीं किया जाएगा।

3. प्लॉट के स्वामी और योजना तैयार करने वाले वास्तुकार का कर्तव्य होगा कि वे यह सुनिश्चित करे कि संस्वीकृत योजनाएं व्याप्त भवन उप-विधियों के अनुसार हैं। यदि उप-विधियों के किसी भी उल्लंघन पर किसी का ध्यान नहीं जाता है, तो दिविप्रा के पास योजनाओं में संशोधन करने का अधिकार सुरक्षित है और जब भी उल्लंघन का पता चलता है और दिविप्रा इस खाते पर किसी भी दावे के विरुद्ध क्षतिपूर्ति करेगा।

4. उप-विधियों के अनुसार भवन निर्माण शुरू होने से पहले लिखित में एक नोटिस दिविप्रा को भेजा जाएगा, जब इमारत प्लिंथ स्तर तक पहुंच जाए इसी तरह का नोटिस दिविप्रा को भेजा जाएगा ।

5. जब तक प्राधिकरण द्वारा अधिभोग प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाता है, पक्षकार उस पर कब्जा नहीं करेगा या उस पर अधिभोग करने की अनुमति नहीं देगा या ऐसे किसी भी कार्य से प्रभावित भवन या उसके हिस्से का उपयोग करने की अनुमति नहीं देगा ।

6. दिविप्रा अदालतों और अन्य प्राधिकरणों के समक्ष सभी कार्यवाही से सभी व्ययों/नुकसानों/दावों के लिए क्षतिपूर्ति करेगा और हानिरहित रहेगा, जो दिविप्रा को वहन करना पड़ सकता है या इसके द्वारा इन निर्माण योजनाओं के अनुसार संस्वीकृति के परिणाम के रूप में भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हो सकता है।

7. दरवाजे और खिड़की के पल्ले इस तरह से लगाए जाने चाहिए कि वे किसी भी सड़क की ओर न खुले।

8. पक्षकार परियोजना के अनुमोदित मानकों के अनुसार प्रत्येक मंजिल की आवासीय इकाइयों में घर को परिवर्तित करेगा और केवल आवासीय उद्देश्य के लिए परिसर का उपयोग करेगा ।

9. भवन का निर्माण भारतीय विद्युत नियमों में यथानिर्दिष्ट न्यूनतम अनिवार्य दूरी के अंदर और स्थल के किसी भी तरफ चलने वाली वोल्टेज लाइनों से दिल्ली विद्युत बोर्ड की आवश्यकता के अनुसार नहीं किया जाएगा।

10. सेट बैक नियम को लागू करने के परिणामों पर खुली छोड़ी गई भूमि सार्वजनिक सड़क का हिस्सा बनेगी।

11. बाहरी दीवारों की मोटाई कम से कम 0.23 मीटर (9") रखी जाएगी। 

12. आबंटित प्लॉट के आयामों में किसी भी विसंगति से बचने के लिए, आपको सलाह दी जाती है कि भवन उपविधि 83 खंड 7.2.1 के अनुसार कार्य शुरू होने से पहले अर्थात परिशिष्ट ‘ख’ परियोजना के निदेशक (योजना) कार्यालय से पुनः सीमांकित करवा लें ।

13. निर्माण स्थल पर संबंधित से बुनियादी स्तरों का पता लगाया जाना चाहिए।

14. स्वामी निम्नलिखित का संकेत करते हुए न्यूनतम 3 फीट X 4 फीट आकार के बोर्ड प्रदर्शित करेगा:

  • प्लॉट नंबर और स्थिति
  • पट्टेदार/स्वामी का नाम
  • पट्टा विलेख के अनुसार संपत्ति का उपयोग
  • नंबर सहित भवन योजना की संस्वीकृति की तिथि के साथ
  • संस्वीकृति जब तक मान्य है
  • विभिन्न संस्वीकृत मंजिलों और क्षेत्रों का उपयोग
  • वास्तुकार का नाम और उसका पता
  • ठेकेदार का नाम और उसका पता

15. निर्माण स्थल पर डिस्प्ले बोर्ड का प्रावधान एक अनिवार्य आवश्यकता है और इसका पालन न करने पर 5000/- रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। .

16. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि निर्माण/तोड़फोड़ का कार्य इस प्रकार किया जाए कि आस-पड़ोस के निवासियों को कोई परेशानी/दिक्कत न हो।

17. स्वामी और वास्तुकार द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि निर्माण के दौरान संस्वीकृत भवन नक्‍शे जल सिंचाई की आवश्यकता के साथ-साथ भवन के लिए अपशिष्ट जल पुनर्चक्रण प्रणाली को कम से कम 10,000 लीटर और उससे अधिक के अपशिष्ट जल के प्रतिदिन बीबीएल 1983 (जैसा कि भारत के राजपत्र दिनांक 31.7.2001 में अधिसूचित है) के खंड 22.1.1, 22.4.2 के अंतर्गत और उसमें दी गई जानकारी (100 वर्ग मीटर और उससे अधिक के प्‍लॉटों पर लागू) में यथा निर्धारित अपशिष्‍ट जल की 10000 लीटर और उससे अधिक के न्‍यूनतम प्रत्‍याशित निस्‍सरण के साथ बिल्डिंग के लिए जल संचयन आवश्‍यकता और अपशिष्‍ट जल रिसाइकिल करना सुनिश्चित करेगा।

18. आवासन और शहरी विकास एवं गरीबी उपशमन, मंत्रालय भारत सरकार की अधिसूचना संख्या 11011/9/98/-डीडीआईवी(पार्ट)/डीडीआईबी दिनांक 21.11.01 के अनुसार, फॉर्म 'ग' (भवन उप-विधि 7.2.2) और फॉर्म ‘घ' ( भवन उपविधि 7.2.3) लागू नहीं होंगे। तथापि इस अधिसूचना के अनुसार स्वामी अपने वास्तुकार/अभियंता/पर्यवेक्षक के माध्यम से प्लिंथ स्तर तक काम पूरा होने पर परिशिष्ट ख-I के अनुसार प्रफॉर्मा में दिविप्रा को नोटिस देगा ताकि दिविप्रा यह सुनिश्चित कर सके कि काम संस्वीकृत भवन नक्‍शे और भवन उप-विधि के अनुरूप है।  इसके अलावा पूर्णता एवं अधिभोग प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया जाएगा और दिनांक 21.11.2001 की उपरोक्त अधिसूचना के अनुसार प्राप्त किया जाएगा।

19. भवन का निर्माण पूरी तरह से संस्वीकृत नक्‍शे के साथ-साथ भवन उप-विधि, 1983 के खंड 18 में निर्धारित सुरक्षा आवश्यकता के लिए स्वामी/वास्तुकार/संरचना अभियंता द्वारा संयुक्त रूप से प्रस्तुत प्रमाण पत्र भारत सरकार की अधिसूचना संख्या एसओ-248 (ई) दिनांक 21.03.2001 के अनुसार भवन के डिजाइन में विधिवत शामिल किसी भी प्राकृतिक खतरों से सुरक्षा सहित संरचनात्मक डिजाइन के अनुसार किया जाएगा।

20. निर्माण के दौरान निकले 'मलबा' साप्ताहिक आधार पर हटाया जाएगा। यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो उस स्थिति में स्थानीय निकाय 'मलबा' हटा देगा और लागत प्लॉट के स्वामी द्वारा वहन की जाएगी।

निर्माण के दौरान, स्वामी की ओर से यह अनिवार्य है कि मुख्य सड़क के निर्माण स्थल को जमीनी स्तर से कम से कम 8 फीट की ऊंचाई पर एक स्क्रीन वॉल के निर्माण द्वारा मुख्‍य सड़क के निर्माण स्‍थल का ठीक प्रकार से आवरण किया जाए जो सड़क के किनारे से देखने पर बुरा न लगे, से बचने के लिए पेंट किया जाएगा,  इसके अलावा एक जाल या कुछ अन्य सुरक्षात्मक सामग्री को सामने या भवन पर लगाया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी गिरने वाली सामग्री संरक्षित क्षेत्र के भीतर ही रहे।

22. रात्रि 10.00 बजे के बाद निर्माण के लिए शोर संबंधी गतिविधियां नहीं की जाएंगी।

23. यह बिल्डर, स्वामी या संस्वीकृति मांगने वाले व्यक्ति का कर्तव्य होगा कि वह वर्धमान कौशिक बनाम यूओआई एंड अदर्स शीर्षक वाले मूल आवेदन संख्या 21/2004 में माननीय एनजीटी द्वारा दिनांक 10.04.2015 को पारित आदेश में निहित निर्देशों साथ ही निर्माण को बढ़ाते समय एमओईएफ दिशानिर्देश 2010 का सख्ती से पालन करेगा और उनके अनुसार कार्य करेगा। ये निर्देश संक्षेप में इस प्रकार हैं:

  • प्रत्येक बिल्डर या स्वामी निर्माण के क्षेत्र और भवन के चारों ओर मचान पर तिरपाल लगाएगा। बिल्डर, स्वामी सहित किसी भी व्यक्ति को किसी भी निर्माण सामग्री, विशेष रूप से रेत को किसी भी कॉलोनी में गली, सड़कों के किसी भी हिस्से पर स्टोर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
  • निर्माण क्षेत्र (साइट) में किसी भी प्रकार की स्‍टोर की गई निर्माण सामग्री को पूरी तरह से कवर किया जाएगा, ताकि वह किसी भी रूप में हवा में न फैले।
  • निर्माण सामग्री और मलबे को ट्रकों या अन्य वाहनों में ले जाया जाएगा, जो पूरी तरह से कवर और संरक्षित हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्माण का मलबा या निर्माण सामग्री हवा या वातावरण में किसी भी रूप में फैल न जाए।
  • निर्माण स्थल से निकलने वाली धूल को पूरी तरह से नियंत्रित किया जाना चाहिए और इस संबंध में सभी सावधानियां बरती जानी चाहिए।
  • निर्माण सामग्री और किसी भी प्रकार के निर्माण मलबे को ले जाने वाले वाहनों को ऐसी सामग्री को उतारने के बाद सड़क पर चलने की अनुमति देने से पहले सड़क को साफ करना चाहिए।
  • निर्माण स्थल पर काम करने वाले और निर्माण सामग्री और निर्माण मलबे की लोडिंग, अनलोडिंग और ढुलाई में शामिल प्रत्येक कर्मचारी को धूल के कणों को अंदर लेने से रोकने के लिए मास्क प्रदान किया जाएगा।
  • धूल निकलने से संबंधित निर्माण सामग्री और निर्माण मलबे के निर्माण और ले जाने में शामिल श्रमिकों को सभी चिकित्सा सहायता, जांच और उपचार प्रदान करना प्रत्येक स्वामी और बिल्डर का दायित्व होगा।
  • निर्माण सामग्री और मलबे के कचरे को निर्माण स्थल, डंपिंग साइट या किसी अन्य स्थान पर नियमों के अनुसार और इस आदेश के अनुसार ढोना, प्रत्येक बिल्डर की जिम्मेदारी होगी।
  • सभी को उचित उपाय करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि पूर्व के आदेश और इन आदेशों के नियमों और शर्तों का कड़ाई से पालन करने के लिए स्प्रिंकलर, ग्रीन एयर बैरियर का निर्माण करना चाहिए।
  • ग्राइंडिंग और स्टोन कटिंग में वेट-जेट का अनिवार्य रूप से उपयोग किया जाना चाहिए।
  • निर्माण स्थल के चारों ओर हवा को रोकने वाली दीवारें बनाई जानी चाहिए।
  • मिट्टी की गुणवत्ता और अन्य प्राकृतिक परिस्थितियों के आधार पर विभिन्न प्रजातियों के वृक्षों को बड़ी संख्या में लगाकर 'वृक्ष आवरण' क्षेत्र को बढ़ाने के लिए किए जाने चाहिए सभी प्रयास।
  • सभी बिल्डर जो ऐसे व्यावसायिक, आवासीय परिसरों का निर्माण कर रहे हैं, जो 2006 की ईआईए अधिसूचना के अंतर्गत आते हैं, वे अपने द्वारा निर्मित भवन के चारों ओर हरित पट्टी प्रदान करेंगे।

24.यदि उपरोक्त उल्लिखित सहायक शर्तों का पालन नहीं किया जाता है, किसी भी महत्वपूर्ण तथ्य को छुपाया गया है या गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है, तो संस्वीकृति शुरू से ही रद्द हो जाएगी।

पॉकेट संख्या............. पॉकेट संख्या............

ब्लॉक संख्या............. सेक्टर संख्या.............

दिल्ली।

उत्तर: किसी भी शिकायत के मामले में, जनता, भवन विभाग की 'शिकायत अदालत' से संपर्क कर सकती है। यह अदालत प्रत्येक माह के प्रत्येक प्रथम वर्किंग दिवस सोमवार को अपराह्न 2.30 बजे से सायं 5.30 बजे के बीच निम्नलिखित से संबंधित मामलों में आयोजित की जाती है।

  • भवन योजनाओं की स्वीकृति में विलम्ब।
  • बी-1 परमिट जारी करना।
  • कंपनीशनप्रमाणपत्र जारी करना।
  • भूमि अनुभाग एवं योजना/वास्तुकला विभाग से 'एनओसी' से संबंधित समस्याएं।
  • अपर आयुक्त (यो.) भवन अनुभाग पीड़ित पक्ष को उनके द्वारा पूर्व में प्रस्तुत किए गए अभ्यावेदन पर समय और तारीख देने के बाद, विकास मीनार, नई दिल्ली स्थित अपने कार्यालय में शिकायतों की सुनवाई करता है। इसके अतिरिक्त सोमवार और गुरुवार को उनके द्वारा जन - सुनवाई की जाती है। निदेशक (भवन) भी सोमवार और गुरुवार को अपने कार्यालय में दोपहर 30 बजे से शाम 5.30 बजे के बीच जनता की शिकायतों / शिकायतों के निवारण के लिए उपलब्ध हैं।